लक्ष्य और कार्यपद्धति
Welcome to the Department of Hindi, University of Delhi.
विभाग की स्वतंत्र स्थापना का उद्देश्य यह था कि हिंदी भाषा और साहित्य आदि विभिन्न क्षेत्रों में शोध, शिक्षण-प्रशिक्षण तथा विमर्श आदि स्वतंत्र रूप से किए जा सकें । साथ ही विदेशी विद्यार्थियों को हिंदी भाषा, साहित्य और भारतीय संस्कृति से परिचित कराया जा सके । यही कारण है कि हिंदी को रोजगारोन्मुखी बनाने के लिए अनुवाद, विदेशी छात्रों के लिए डिप्लोमा/ सर्टिफिकेट, जनसंचार क्षेत्र में पत्रकारिता डिप्लोमा जैसे पाठ्यक्रमों का सफलतापूर्वक संचालन किया जा रहा है । इस दिशा में निरंतर विकास हो रहा है । समय-समय पर पाठ्यक्रम, शिक्षण-प्रशिक्षण व शोध को अद्यतन तथा प्रभावशाली बनाने का प्रयास किया जा रहा है ।
लक्ष्य -
- DRS-SAP परियोजना के अंतर्गत एक शोध-जर्नल निकालने की योजना ।
- देवनागरी लिपि के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय शोध-केन्द्र विकसित करने की योजना ।
- 21 वीं सदी की टेक्नो-संस्कृति की जरूरतों के अनुकूल हिंदी भाषा और साहित्य को डिजिटल प्लेटफार्म पर ले आने और ई-लर्निंग को प्रोत्साहित करने की योजना है ।
- भूमंडलीय परिदृश्य में रोजगार की दृष्टि से हिंदी की संभावनाओं के अनुसार पाठ्यक्रम और अन्य कौशल संबंधी अध्ययन के विषय तैयार करना
- भाषा-शास्त्रियों के आकलन के अनुसार हिंदी अंतर्राष्ट्रीय संपर्क की प्रमुख भाषा होगी । इस दृष्टि से विश्व के अनेक देशों के विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ रहे छात्रों को हिंदी विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय से जोड़ने की योजना ।
साहित्य के अध्ययन की नई दिशाएँ:
i. आधुनिकतावाद और उत्तर-आधुनिकतावाद vi. पर्यावरणीय अध्ययन
ii. संरचनावाद और उत्तर-संरचनावाद vii. सूचना समाज की पारिस्थितिकीय सरणियों का अध्ययन
iii. भाषाविज्ञान के विभिन्न क्षेत्र viii. सौंदर्यशास्त्र और नीतिशास्त्र
iv. अनुवाद सिद्धान्त ix. चिह्नशास्त्र
v. अस्मितामूलक विमर्श: दलित, स्त्री, आदिवासी
शिक्षण की नई विधियाँ
पावर पॉइंट के माध्यम से शिक्षण । ब्लैक बोर्ड, व्हाइट बोर्ड, ग्रीन बोर्ड के क्रम में शिक्षण । ई-मेल द्वारा मुख्य अध्ययन सामग्री को उपलब्ध कराना और उसकी प्रतिपुष्टि लेना । असाइनमेंट और मौखिक प्रस्तुति द्वारा गुणवत्ता का विश्लेषण । व्हाट्सअप द्वारा यूट्यूब पर उपलब्ध यू॰जी॰सी॰/सी॰ई॰सी॰, इग्नू तथा अन्य वेबलिंक प्रसारित करना और विद्यार्थियों को तकनीकी स्रोतों से जोड़ना । छोटे समूह निर्मित कर किसी विशिष्ट विषय पर चर्चा करवाना । हिंदी भाषा की लिखित और मौखिक कौशल को विदेशी विद्यार्थियों में निबंध लेखन और मौखिक वार्ता द्वारा मूल्यांकित करना । एम॰फिल॰/पीएच॰डी॰ के शोधार्थियों द्वारा प्रगति रिपोर्ट और प्रस्तुति द्वारा मूल्यांकन करना । अनुवाद डिप्लोमा तथा अन्य कोर्स में लघु परियोजना कार्य द्वारा वास्तविक अनुवाद दक्षता विकसित करना ।